2 अक्टूबर से... प्लास्टिक को कहो ना
भूख मिटाने के लिए परोसे गए गरम खाने से लेकर थकान मिटाने वाला ठंडे पानी अगौर चाय की चुस्कियों तक इस्तेमाल किया जाने वाले प्लास्टिक से सेहत बिगड़ने का खतरा बढ़ता जा रहा है। प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने से इसमें पाए जाने वाले केमिकल से न केवल कैंसर बल्कि पेट-दर्द, कब्ज व याददाश्त पर भी फर्क पड़ता है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी अॉफ इंडिया ने अामजन की सेहत के खतरे को देखते हुए प्लास्टिक की बोतल से पानी पिलाने पर बैन कर दिया है। जिसके तहत प्लास्टिक की बोतलों का महंगा पानी होटल्स और रेस्टोरेंट संचालक सर्व नहीं कर सकेंगे। होटल्स और रेस्टोरेंट को पेपर सील्ड रि-यूजेबल ग्लास की बोतल में पानी ग्राहकों को देना होगा। इससे जहां पर्यावरण को बचाने में मदद मिलने के साथ ही सील्ड पानी के नाम पर होने वाली लूट से भी राहत मिलेगी। एफएसएसएअाई के संयुक्त निदेशक (रेग्यूलेट्री कॉम्पीलिएंस) प्रवीण जारगर की अोर से अादेश जारी किया है। राजस्थान समेत देश के सभी फूड सेफ्टी कमिश्नर, होटल एसोसिएशन को पत्र लिखकर नियमों की पालना के लिए लिखा है।
प्लास्टिक बोतल में बिसफेनोल-ए केमिकल सेहत का बड़ा दुश्मन है
एसएमएस अस्पताल के डॉ.पुनीत सक्सेना का कहना है कि प्लास्टिक बोतल में 'बिसफेनोल -ए ' नामक केमिकल से सेहत पर प्रभाव पड़ता है। इससे पेट-दर्द, कब्ज व हार्मोनल सिस्टम का खतरा है। लगातार पानी पीने से याददाश्त में कमी भी अा सकती है। बोतल से पानी पीना कैंसर की वजह भी हो सकती है।
पानी वाली प्लास्टिक बोतलों में तापमान ज्यादा होने या पानी के गरम होते ही खतरनाक हानिकारक तत्व निकलते हैं जो पानी के साथ पेट में पहुंच जाते हैं। पानी पीने के लिए स्टेनलेस स्टील या एल्युमिनियम की बोतलें ही अच्छी है।
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि हर साल हजारों टन कचरा सिर्फ प्लास्टिक का ही निकलता है। प्लास्टिक का 40 से 50 फीसदी कचरा सिर्फ एक ही बार इस्तेमाल होता है। इसमें प्लास्टिक की बोतल भी शामिल है।
सर्व किया जाने वाला पानी बीआईएस अाईएस 10500: 2012 के मुताबिक होना चाहिए। साफ पानी का प्रबंध करना होगा। कांच की बोतल में कागज की सील से बंद बोतलों में पानी दिया जाएगा। सील बंद बोतलों का पैकिंग फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड नियम 2011 के शिड्यूल -4 के मुताबिक सफाई और स्वच्छता को ध्यान में रखना होगा। इन बोतलों को पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर की कैटेगरी में शामिल नहीं होगी
सिंगल यूज प्लास्टिक आइटम्स पर रोक की दिशा में एक बड़ी पहल करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश माननीय मो. रफीक ने रविवार को प्लास्टिक हटाओ जनजीवन बचाओ पोस्टर का विमोचन किया गया। न्यायाधीश ने कहा कि राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रदेश में 2 अक्टूबर से चलाए जाने वाले अभियान प्लास्टिक ना बाबा ना स्वागत योग्य है। अभियान में जुड़ने वाले सहयोगियों व स्कूल के बच्चों को कपड़े व जूट के थैले एवं श्रमदान के लिए रबड़ के दस्ताने दिए जाएंगे। पोस्टर विमोचन कार्यक्रम में न्यायाधीश सबीना, जिला एवं सत्र न्यायाधीश जयपुर मदनगोपाल व्यास और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव अशोक कुमार जैन भी शामिल रहे।
सदस्य सचिव जैन ने बताया कि अभियान में सिंगल यूज प्लास्टिक आइटम्स में पॉलीथीन, बैग्स, स्ट्रॉ, कप्स, प्लेट्स, छोटी बोतलें एवं विशेष प्रकार के पाउच शामिल हैं, जिन पर रोक लगाई जानी है। यह स्वच्छ भारत अभियान का भाग है।
टास्क फोर्स का गठन होगा : इस अभियान के तहत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं तालुका विधिक सेवा समिति की ओर से अपने यहां टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा। प्रदेश में विभिन्न स्तरों पर बनी टास्क फोर्स पूरे प्रदेश में अभियान संबंधी गतिविधियों- जागरूकता रैली, श्रमदान कार्यक्रम, प्रभात फेरी, नुक्कड़ नाटक आदि का प्रभावी क्रियान्वयन जनसहभागिता से करेंगी। स्कूल-कॉलेजों को भी अभियान से जोड़ा जाएगा।